Homeविदेशकर्नाटक में रुसी रेडार : चीन-पाकिस्तान की मिसाइलों पर रखेगा नजर

कर्नाटक में रुसी रेडार : चीन-पाकिस्तान की मिसाइलों पर रखेगा नजर

मास्‍को। भारत के पड़ोसी देश चीन-पाकिस्‍तान बड़े पैमाने पर परमाणु मिसाइलों का निर्माण कर रहे हैं। अब भारत ने भी इन दोनों पड़ोसी देशों को मात देने कमर कस ली है। भारत कर्नाटक में चालकेरे में बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रेडार वोरोनेझ लगा रहा है। इस रूसी रेडार वोरोनेझ की रेंज 8000 किमी है और इसे 10000 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पाकिस्‍तान और चीन की निगरानी कर सकता है। यह रूसी रेडार बलिस्टिक मिसाइल, स्‍टील्‍थ एयरक्राफ्ट और कई तरह के हवाई खतरों का पता लगाने और उसका जवाब देने में भी माहिर है।
कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक की क्षमता की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार कई वेबबैंड पर काम कर सकता है। इससे यह कई भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्‍यों को ट्रैक कर सकता है। भारत इसकी मदद से दुश्‍मन की आने वाली मिसाइलों का पता लगा सकेगा और उसे तबाह कर सकेगा। भारत इससे देश के लिए एक व्‍यापक सुरक्षा कवच तैयार कर सकेगा।
भारत को इस डील की मदद से रूस के बेजोड़ रेडार को बनाने की तकनीक के बारे में भी अहम जानकारी मिल सकेगी। इस रेडार का करीब 60 फीसदी हिस्‍सा भारत में ही बनाने का प्‍लान है। रूस का भारत को यह रेडार देना दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्‍ती को दर्शाता है। वह भी तब जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध को देखते हुए रूस के खिलाफ कई तरह के कठोर प्रतिबंध लगा रखे हैं। इसके बाद भी भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी दोस्‍ती मजबूत बनी हुई है।
विश्‍लेषकों का कहना है कि यह रेडार लगाना भारत का एक रणनीतिक कदम है। इससे भारत सीमा पर चौतरफा निगरानी कर सकेगा। भारत और रूस के बीच इस रेडार को लेकर 4 अरब डॉलर की डील हुई है। रूसी रेडार को अलमाज एंटे कंपनी ने बनाया है जो दुनिया के बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्‍टम और रेडार प्रणाली को बनाने के लिए जानी जाती है। रूसी कंपनी का एक दल पिछले दिनों भारत के दौरे पर आया था। अभी तक दुनिया में केवल रूस, चीन और अमेरिका के पास ही इतना शक्तिशाली रेडार सिस्‍टम है।

RELATED ARTICLES

हमसे जुड़ें

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe